सिलाई कला में पैटर्न (Pattern) का मतलब उस टेम्पलेट या डिजाइन से है, जिसके आधार पर कपड़ों की कटिंग और सिलाई की जाती है। यह एक विशेष आकृति होती है, जो कपड़े को सही माप और आकार में काटने के लिए बनाई जाती है। पैटर्न विभिन्न प्रकार के कपड़ों और डिजाइनों के लिए अलग-अलग बनाए जाते हैं।
पैटर्न बनाने के प्रकार (Types of Pattern Making)
सिलाई और परिधान निर्माण में पैटर्न बनाने के कई तरीके होते हैं। ये तरीके कपड़े के प्रकार, डिजाइन और आवश्यक फिटिंग के आधार पर चुने जाते हैं। मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रकार के पैटर्न मेकिंग पद्धतियाँ प्रचलित हैं:
1. ड्राफ्टिंग पद्धति (Drafting Method)
इस पद्धति में शरीर के माप के अनुसार एक बेसिक पैटर्न तैयार किया जाता है।
- इसमें विभिन्न मापदंडों (Chest, Waist, Hip, Sleeve, Length) के अनुसार आकृति बनाई जाती है।
- बेसिक ब्लॉक (Basic Block) तैयार करने के बाद उसमें इच्छित डिज़ाइन जोड़ा जाता है।
- यह पद्धति कस्टम फिटिंग (Custom Fitting) के लिए उपयुक्त होती है।
- इस पद्धति में स्केल, फ्रेंच कर्व, और ट्रायंगल रूलर का उपयोग किया जाता है।
उदाहरण: ब्लाउज़, सलवार, कमीज, जैकेट आदि के लिए उपयोग किया जाता है।
2. ड्रेपिंग पद्धति (Draping Method)
- इसमें कपड़े को सीधे डमी (Dress Form या Mannequin) पर ड्रेप किया जाता है।
- इसे पिन, सिलाई या हाथ से मोड़कर वांछित आकार दिया जाता है।
- ड्रेपिंग के बाद, उसे कागज पर ट्रांसफर किया जाता है और एक स्थायी पैटर्न तैयार किया जाता है।
- यह फैशन डिजाइनरों द्वारा अनूठे और विशेष डिज़ाइन बनाने के लिए अधिक उपयोग की जाती है।
उदाहरण: गाउन, फ्लेयर्ड ड्रेसेस, डिजाइनर साड़ी ब्लाउज़ आदि के लिए उपयोग किया जाता है।
3. फ्लैट पैटर्न मेकिंग (Flat Pattern Making)
- इसमें पहले से बनाए गए बेसिक पैटर्न (Sloper या Block) को लिया जाता है और उसमें आवश्यक परिवर्तन किए जाते हैं।
- इस पद्धति में सिलाई की सभी तकनीकी जानकारी दी जाती है, जैसे कि डार्ट्स, सीवन (Seam Allowance), और फोल्ड्स।
- इसका उपयोग अधिकतर इंडस्ट्रियल स्तर पर किया जाता है।
उदाहरण: कमर्शियल गारमेंट्स, टी-शर्ट, ट्राउज़र, कुर्ते आदि के लिए।
4. डिजिटल पैटर्न मेकिंग (Digital Pattern Making)
- इसमें कंप्यूटर सॉफ्टवेयर (CAD – Computer-Aided Design) का उपयोग किया जाता है।
- डिज़ाइनिंग और पैटर्न बनाने में सटीकता और समय की बचत होती है।
- बड़े पैमाने पर उत्पादन (Mass Production) के लिए उपयोगी होती है।
- डिजिटल पैटर्न मेकिंग में एक ही डिज़ाइन को अलग-अलग साइज में आसानी से बदला जा सकता है।
उदाहरण: रेडीमेड गारमेंट इंडस्ट्री में इसका अधिक उपयोग किया जाता है।
5. इंडस्ट्रियल पैटर्न मेकिंग (Industrial Pattern Making)
- यह बड़े स्तर पर वस्त्र निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है।
- इसमें एक पैटर्न को बार-बार कॉपी करके विभिन्न साइज़ में बनाया जाता है।
- इसमें ग्रेडिंग (Grading) तकनीक का उपयोग होता है, जिससे एक ही डिज़ाइन के अलग-अलग आकार (S, M, L, XL) बनाए जाते हैं।
उदाहरण: शर्ट, जींस, जैकेट, और अन्य रेडीमेड कपड़ों में।
6. मनमाफिक (Customized) पैटर्न मेकिंग
- यह ग्राहक के विशेष माप और आवश्यकताओं के अनुसार बनाया जाता है।
- इसमें ड्राफ्टिंग और ड्रेपिंग दोनों तकनीकों का उपयोग किया जा सकता है।
- इस प्रकार के पैटर्न महंगे होते हैं क्योंकि इन्हें विशेष रूप से एक व्यक्ति के लिए डिज़ाइन किया जाता है।
उदाहरण: शादी के जोड़े, कस्टम-मेड सूट, डिजाइनर ड्रेसेस आदि के लिए।
स्लैश पैटर्न (Slash Pattern)
स्लैश पैटर्न एक फ्लैट पैटर्न मेकिंग तकनीक है जिसमें पैटर्न को काटकर और फैलाकर उसमें फुलनेस या वॉल्यूम जोड़ा जाता है। इसका उपयोग प्लीट्स, गैदर्स, फ्लेयर्स, रफल्स आदि बनाने के लिए किया जाता है। स्लैश पैटर्न बनाने के लिए, पैटर्न पर strategic जगहों पर कट लगाए जाते हैं और फिर उन्हें फैलाकर वांछित आकार दिया जाता है।
ड्राफ्ट पैटर्न (Draft Pattern)
ड्राफ्ट पैटर्न, कपड़ा काटने से पहले कागज पर बनाया गया अंतिम पैटर्न होता है। यह शरीर के माप के आधार पर बनाया जाता है और इसमें सिलाई के लिए सभी आवश्यक जानकारी, जैसे सीम अलाउंस, डार्ट्स, प्लीट्स आदि शामिल होती हैं। ड्राफ्ट पैटर्न का उपयोग करके, कपड़े को सही माप और आकार में काटा जाता है।
सामग्री ड्राफ्ट करने, काटने, बिछाने और रखने योग्य सावधानियां-
1. ड्राफ्टिंग (Drafting) के समय सावधानियां
- सही माप (Correct Measurements): शरीर का सही माप लेना बहुत जरूरी है। गलत माप लेने से पूरा पैटर्न बिगड़ सकता है।
- उपयुक्त कागज का उपयोग करें: पैटर्न बनाने के लिए मोटे कागज (Pattern Paper) या ट्रेसिंग शीट का उपयोग करें।
- मार्किंग स्पष्ट रखें: सभी चिन्ह जैसे डार्ट्स, फोल्ड लाइन, सीम अलाउंस आदि साफ-साफ मार्क करें।
- रूलर और स्केल का उपयोग करें: कर्व्स और स्ट्रेट लाइन्स सही से बनाने के लिए French Curve, Hip Curve, और Measuring Tape का उपयोग करें।
2. कपड़े की कटिंग (Cutting) के समय सावधानियां
- कैंची का सही उपयोग करें: तेज धार वाली कैंची का उपयोग करें ताकि कपड़ा खराब न हो।
- सही दिशा में काटें: कपड़े के ग्रेनलाइन (Grainline) के अनुसार काटें।
- सीम अलाउंस का ध्यान रखें: काटने से पहले यह सुनिश्चित करें कि सीम अलाउंस सही रूप से जोड़ा गया हो।
- छोटे टुकड़ों को बाद में काटें: पहले बड़े टुकड़ों को काटें और फिर छोटे टुकड़ों को, ताकि कपड़े की बर्बादी न हो।
3. कपड़े को बिछाने (Laying) के समय सावधानियां
- कपड़े को सही तरीके से मोड़ें: पैटर्न को लगाने से पहले कपड़े को ठीक से बिछाएं।
- प्रिंट और पैटर्न मिलाएं: यदि कपड़े में प्रिंट या डिज़ाइन हो, तो उसे सही तरीके से मिलाकर रखें।
- पिन या वेट्स का उपयोग करें: कपड़े को हिलने से रोकने के लिए पिन या पेपरवेट का उपयोग करें।
- दोहरी परतों का ध्यान रखें: यदि कपड़ा दो परतों में रखा है, तो यह सुनिश्चित करें कि दोनों समान रूप से कटें।
4. कपड़े और पैटर्न को सुरक्षित रखने (Storing) के समय सावधानियां
- कटे हुए कपड़े को सही ढंग से रखें: काटने के बाद कपड़े को सही क्रम में रखें ताकि सिलाई करते समय आसानी हो।
- पैटर्न को मोड़कर सुरक्षित रखें: पैटर्न को प्लास्टिक शीट या फोल्डर में सुरक्षित रखें ताकि वह खराब न हो।
- नमी और कीड़ों से बचाव करें: कपड़े को साफ, सूखी और हवादार जगह पर स्टोर करें।
- लेबलिंग करें: पैटर्न और कटे हुए कपड़ों पर लेबल लगाएं ताकि बाद में पहचानने में आसानी हो।
अतिरिक्त सुझाव (Additional Tips)
- प्रैक्टिस करें: पैटर्न बनाने की कला अभ्यास से बेहतर होती है।
- प्रयोग करें: अलग-अलग कपड़ों पर विभिन्न पैटर्न ट्राई करें।
- डिजाइनिंग में अपडेट रहें: नए ट्रेंड्स के अनुसार पैटर्न में बदलाव करते रहें।
- ध्यानपूर्वक काम करें: ड्राफ्टिंग, कटिंग और सिलाई में धैर्य और सटीकता जरूरी है।
सही पैटर्न ड्राफ्टिंग और कटिंग से कपड़े की फिटिंग और लुक बेहतर होता है। यदि सभी सावधानियों और प्रक्रियाओं का पालन किया जाए, तो तैयार किया गया परिधान न केवल देखने में आकर्षक होगा, बल्कि पहनने में भी आरामदायक रहेगा।