बहु-फसल प्रणाली: एक ही मौसम में दो या अधिक फसलों की खेती

बहु-फसल प्रणाली एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें किसान एक ही खेत में एक ही मौसम में दो या दो से अधिक फसलें उगाते हैं। यह दृष्टिकोण न केवल किसानों की आय को बढ़ाने में सहायक है, बल्कि यह जोखिम को कम करने और भूमि के उपयोग को अधिकतम करने का एक प्रभावी साधन भी … Read more

क्रमवार कृषि: सतत खेती की ओर एक कदम

भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ की अधिकांश जनसंख्या अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर है । विश्व के अनेकों विकसित राष्ट्रों की तुलना में देश में कृषि उत्पादकता काफी कम है । भारतीय कृषि की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह प्रकृति पर अत्यधिक निर्भर है, जहाँ कृषि की सफलता मानसून … Read more

फसल चक्र: सतत कृषि की कुंजी (Crop rotation: the key to sustainable agriculture)

प्राचीन काल से ही, किसान भूमि की उर्वरता बनाए रखने और बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते आ रहे हैं। इनमें से एक महत्वपूर्ण तकनीक है फसल चक्र। फसल चक्र एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक ही खेत में विभिन्न फसलों को एक निश्चित क्रम में उगाया जाता है। यह … Read more

मिश्रित कृषि: फसल और पशुपालन का समन्वय

यह लेख मिश्रित कृषि की अवधारणा, इसके विभिन्न प्रकारों, लाभों, चुनौतियों और भविष्य पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। मिश्रित कृषि, जो फसलों की खेती और पशुधन पालन का एकीकरण है, किसानों को आय के स्रोतों में विविधता लाने, संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करने और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करने का एक स्थायी तरीका … Read more

शुष्क कृषि: न्यूनतम जल उपलब्धता में की जाने वाली कृषि

शुष्क कृषि, जिसे बारानी खेती भी कहा जाता है, ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें सिंचाई के बिना ही फसलों का उत्पादन किया जाता है। यह उन क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जहाँ वर्षा बहुत कम होती है (50-75 सेमी) या सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध नहीं होता है। शुष्क कृषि में, सीमित … Read more

आंतरिक फसल प्रणाली: सतत कृषि के लिए एक नया दृष्टिकोण (Intercropping System: A New Approach for Sustainable Agriculture)

आज के समय में, जब कृषि क्षेत्र में लगातार बढ़ती लागत और घटते संसाधनों की चुनौती है, वहीं पर्यावरण संरक्षण और खाद्य सुरक्षा की भी चिंता बढ़ रही है। ऐसे में, आंतरिक फसल प्रणाली एक ऐसा समाधान प्रस्तुत करती है जो न केवल किसानों की आय बढ़ाता है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता और जैव विविधता … Read more

सस्य विज्ञान (Crop Science): खाद्य उत्पादन और सतत कृषि का विज्ञान

सस्य विज्ञान (Crop Science), कृषि विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो फसलों के अध्ययन और उनके उत्पादन में सुधार पर केंद्रित है। यह एक बहुआयामी क्षेत्र है जिसमें पादप आनुवंशिकी (Plant Genetics), पादप शरीर क्रिया विज्ञान (Plant Physiology), मृदा विज्ञान (Soil Science), कीट विज्ञान (Entomology), रोग विज्ञान (Pathology), कृषि अभियांत्रिकी (Agricultural Engineering) और कृषि … Read more

सस्य विज्ञान (Agronomy): फसल उत्पादन (Crop Production), भूमि प्रबंधन (Land Management), उर्वरक उपयोग (Fertilizer Use), और सिंचाई प्रणाली (Irrigation System)

परिचय (Introduction) सस्य विज्ञान, कृषि विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है जो फसल उत्पादन और भूमि प्रबंधन से संबंधित है। यह विज्ञान पौधों से भोजन, ईंधन, चारा और रेशे की प्राप्ति के लिए वैज्ञानिक और तकनीकी ज्ञान का उपयोग करता है । सस्य विज्ञान में फसल उत्पादन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि फसल चयन, बुवाई, … Read more

सस्य विज्ञान (Agronomy): ऐतिहासिक विकास एवं आधुनिक तकनीकें

सस्य विज्ञान (Agronomy), कृषि विज्ञान का एक प्रमुख विषय है जो फसलों के उत्पादन, प्रबंधन और सुधार से संबंधित है। यह विज्ञान फसलों की पैदावार बढ़ाने, गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों के कुशल उपयोग पर केंद्रित है, जिससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, किसानों की आजीविका में सुधार करने और पर्यावरण की रक्षा करने में मदद … Read more

फसलों का वर्गीकरण (Crop Classification)

फसलें (Crops) किसी भी कृषि प्रणाली (agricultural system) की नींव होती हैं और मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। फसलों का वर्गीकरण (Crop classification) हमें उनकी विशेषताओं (characteristics), आवश्यकताओं (requirements) और उपयोगों (uses) को समझने में मदद करता है, जिससे कृषि पद्धतियों (agricultural practices) में सुधार, उत्पादकता (productivity) में वृद्धि और खाद्य … Read more