भारतीय शास्त्रीय संगीत: पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या

भारतीय शास्त्रीय संगीत एक समृद्ध और प्राचीन परंपरा है, जिसमें कई पारिभाषिक शब्दों का उपयोग किया जाता है। इन शब्दों को समझना संगीत की गहराई को समझने के लिए आवश्यक है। इस लेख में, हम कुछ महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दों की विस्तृत व्याख्या करेंगे:

ताली

परिभाषा: ताल के विभागों (विभाग) के दो प्रकार होते हैं: ताली और खाली। ताली विभागों पर ज़ोर दिया जाता है और इन्हें ताली बजाकर दर्शाया जाता है।  

विस्तृत व्याख्या:

  • ताली का शाब्दिक अर्थ “ताली बजाना” होता है। प्राचीन भारतीय संगीत परंपराओं में, ताली का उपयोग समय को मापने और ताल के विभिन्न विभागों को चिह्नित करने के लिए किया जाता था।  
  • ताली विभाग ताल के वे विभाग होते हैं जिन पर बल दिया जाता है। संगीतकार अक्सर ताली विभागों को ताली बजाकर दर्शाते हैं।  
  • ताली और खाली विभागों के संयोजन से ताल का एक विशिष्ट पैटर्न बनता है, जो संगीत को आकार देता है। यह पैटर्न प्रत्येक ताल को एक अनूठा चरित्र प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, तीनताल में ताली-ताली-खाली-ताली का पैटर्न होता है, जबकि झपताल में ताली-ताली-खाली-ताली का पैटर्न 2-3-2-3 के विभाजन में होता है, जिससे दोनों तालों का अनुभव अलग-अलग होता है।  
  • यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ताली विभागों पर हमेशा ज़ोरदार स्वर नहीं बजते हैं। ताली और खाली विभाग ताल की अंतर्निहित संरचना का हिस्सा हैं, जो संगीत में हमेशा मौजूद रहती है, चाहे वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे या नहीं।  
  • कुछ संदर्भों में, “भरी” शब्द का उपयोग “ताली” के पर्यायवाची के रूप में किया जाता है।  
  • संगीतकार अक्सर हाथों से ताली और खाली विभागों को दर्शाते हैं: ताली विभागों के लिए ताली बजाकर और खाली विभागों के लिए हाथ हिलाकर। यह एक प्राचीन प्रथा है जो ताल की संरचना को समझने और संगीत के प्रवाह का पालन करने में मदद करती है।  

खाली

परिभाषा: ताल के विभागों (विभाग) के दो प्रकार होते हैं: ताली और खाली। खाली विभागों पर ज़ोर नहीं दिया जाता है और इन्हें हाथ हिलाकर दर्शाया जाता है।  

विस्तृत व्याख्या:

  • खाली का शाब्दिक अर्थ “बिना” या “खाली” होता है, अर्थात “ताली के बिना” या “बल रहित”।  
  • खाली विभाग ताल के वे विभाग होते हैं जिन पर बल नहीं दिया जाता है।
  • संगीतकार अक्सर खाली विभागों को हाथ हिलाकर दर्शाते हैं।  
  • खाली विभाग अक्सर ताल के बीच में आते हैं और ताल को संतुलित करने में मदद करते हैं। हालाँकि, यह हमेशा सच नहीं होता है; कुछ तालों में, खाली विभाग अलग-अलग स्थानों पर आ सकते हैं।  
  • उदाहरण के लिए, तीनताल में तीसरा विभाग खाली होता है।  
  • ताली और खाली विभागों के संयोजन से ताल का एक विशिष्ट पैटर्न बनता है, जो संगीत को आकार देता है।  

आवर्तन

परिभाषा: ताल का एक पूरा चक्र या चक्कर।  

विस्तृत व्याख्या:

  • आवर्तन का शाब्दिक अर्थ “लय”, “चक्कर” या “घुमाव” होता है।  
  • प्रत्येक ताल में मात्राओं की एक निश्चित संख्या होती है, और इन मात्राओं के एक पूरे चक्र को आवर्तन कहा जाता है।  
  • उदाहरण के लिए, तीनताल में 16 मात्राएँ होती हैं, इसलिए तीनताल का एक आवर्तन 16 मात्राओं का होता है।  
  • संगीतकारों, खासकर तबला वादकों के लिए, आवर्तन के बारे में पता होना बहुत ज़रूरी है। आवर्तन की समझ संगीत के प्रवाह को बनाए रखने, ताल के साथ तालमेल बिठाने, और कलाकारों के बीच समन्वय बनाने में मदद करती है।  
  • आवर्तन की जागरूकता तबला वादकों को स्वतंत्र रूप से कला का प्रदर्शन करने, रचनाओं की संरचना करने, और अन्य संगीतकारों के साथ तालमेल बिठाने में मदद करती है।  
  • तबला वादक अक्सर अपनी कला का प्रदर्शन करते समय आवर्तन की गणना करते हैं। वे अपनी कला में विभिन्न लयकारी और गति का प्रयोग करते हुए आवर्तन के भीतर ही रहते हैं।  
  • अधिकांश रचनाएँ सम पर समाप्त होती हैं, जो आवर्तन की पहली मात्रा होती है।  

विभाग

परिभाषा: ताल में मात्राओं (बीट्स) का विभाजन।  

विस्तृत व्याख्या:

  • विभाग का शाब्दिक अर्थ “विभाजन”, “इकाई” या “ब्लॉक” होता है।  
  • प्रत्येक ताल में मात्राओं को विभागों में बांटा जाता है, जो ताल को एक विशिष्ट संरचना प्रदान करते हैं।  
  • विभाग संगीतकारों को ताल में अपनी स्थिति जानने में मदद करते हैं, खासकर लंबे और जटिल तालों में।  
  • उदाहरण के लिए, तीनताल में 16 मात्राओं को 4 विभागों में बांटा गया है, प्रत्येक विभाग में 4 मात्राएँ होती हैं।  
  • झपताल में 10 मात्राओं को 4 विभागों में बांटा गया है (2-3-2-3)।  
  • रूपक ताल में 7 मात्राओं को 3 विभागों में बांटा गया है (3-2-2)।  
  • एकताल में 12 मात्राओं को 6 विभागों में बांटा गया है (2-2-2-2-2-2)।  

तिहाई

परिभाषा: कोई भी वाक्यांश जो 3 बार बजाया जाता है, आमतौर पर सम पर धा के साथ समाप्त होता है।  

विस्तृत व्याख्या:

  • तिहाई का शाब्दिक अर्थ “एक तिहाई” होता है।  
  • तिहाई भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक महत्वपूर्ण लयबद्ध तकनीक है जिसका उपयोग अक्सर किसी रचना को समाप्त करने के लिए किया जाता है। इसे एक लयबद्ध मुहावरे के रूप में समझा जा सकता है जिसे तीन बार दोहराया जाता है ताकि वह “सम” पर आकर समाप्त हो।  
  • तिहाई में एक लयबद्ध पैटर्न (या लयबद्ध-मेलोडिक पैटर्न) की तीन समान पुनरावृत्तियाँ होती हैं, जिनके बीच में 2 (आमतौर पर) समान विश्राम होते हैं।  
  • तिहाई का अंतिम बिंदु ताल के पहले बीट (सम) पर आता है।  
  • तिहाई कई प्रकार के होते हैं, जैसे दमदार, बेदम, चक्रदार आदि।  
  • तिहाई का उपयोग श्रोताओं की समय की धारणा को विकृत करने के लिए किया जाता है, ताकि सम पर लगातार अंतर्निहित चक्र का पता चल सके।  
  • एक साधारण उदाहरण के तौर पर, अगर हम ताली बजाकर “ताली-खाली-ताली” का पैटर्न तीन बार दोहराते हैं और तीसरी बार की आखिरी ताली ताल के पहले बीट पर आती है, तो यह एक तिहाई होगा।

पेशकार

परिभाषा: तबला वादन की एक पारंपरिक रचना जो तबला एकल की शुरुआत में बजाई जाती है।  

विस्तृत व्याख्या:

  • पेशकार का अर्थ है “प्रस्तुत करने वाला”। यह शब्द अदालती भाषा से लिया गया है, जहाँ पेशकार का काम न्यायाधीशों के सामने मामलों को प्रस्तुत करना होता था। संगीत के संदर्भ में, पेशकार तबला वादक का अपना वादन प्रस्तुत करने का तरीका है।  
  • पेशकार तबला वादन की एक मौलिक विशेषता है, जिसके कुछ लक्षण कायदे से मिलते हैं।  
  • पेशकार में पलटे (प्रसार) भी किए जाते हैं, जिससे तबला वादक अपनी कला का विस्तार से प्रदर्शन कर सकते हैं।  
  • पेशकार की लय प्रायः धीमी और लहराती हुई होती है, जो एक शांत और स्थिर माहौल बनाती है।  
  • पेशकार में धनता, धनता, धनता, कन, तिन, गिन, धा, तित आदि बोल समूहों का अधिक प्रयोग होता है।  
  • पेशकार को “फर्श बंदी” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “ज़मीन पर बजाया जाने वाला”। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि पेशकार को पारंपरिक रूप से तबला वादक ज़मीन पर बैठकर बजाते थे।  

कायदा

परिभाषा: शास्त्रीय तबला का सबसे महत्वपूर्ण विषय-और-भिन्नता रूप, जो भाषा के साथ तकनीक और प्रवाह दोनों को विकसित करने के लिए आवश्यक है। ज्यादातर तबला एकल में प्रदर्शन किया जाता है, और कभी-कभी संगत में।  

विस्तृत व्याख्या:

  • कायदा का शाब्दिक अर्थ “नियम”, “नियमों की प्रणाली” या “विधि” होता है।  
  • कायदा तबला सीखने के लिए सबसे महत्वपूर्ण रचनात्मक रूपों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि कायदा का विकास दिल्ली घराने में हुआ था, और आज भी दिल्ली और अजराड़ा घराने अपने विविध और सुंदर कायदों के लिए जाने जाते हैं। समय के साथ, अन्य प्रमुख घरानों ने भी दिल्ली के कायदों को अपनाया और अपने खुद के कायदे विकसित किए।  
  • कायदा शास्त्रीय भाषा और तबला की तकनीकों को सीखने का सबसे अच्छा स्रोत है।  
  • कायदा एक चक्रीय रूप है, जिसकी संरचना ताल की मूल संरचना को दर्शाती है।  
  • कायदा में कई प्रकार के बोल और तकनीकें शामिल होती हैं, जिनका उपयोग अन्य रचनाओं में भी किया जाता है।  
  • कायदा में भिन्नताएं (variations) भी होती हैं, जो तबला वादकों को अपनी कला का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करती हैं।  

गात

परिभाषा: यह शब्द संगीत के संदर्भ में एक विशिष्ट राग या बंदिश को दर्शाता है, खासकर जब शास्त्रीय गायन या वादन की बात हो।

विस्तृत व्याख्या:

  • गात का मतलब “गायन” या “बंदिश” होता है।
  • यह शब्द अक्सर शास्त्रीय संगीत में रागों या बंदिशों के नाम के साथ प्रयोग किया जाता है, जैसे “यमन गात” या “भैरवी गात”।  
  • गात में ताल, लय और स्वरों का समावेश होता है, जो एक साथ मिलकर संगीत का एक सुंदर रूप बनाते हैं।

डुकड़ा

परिभाषा: यह शब्द संगीत के संदर्भ में एक छोटे से अंश या टुकड़े को दर्शाता है, खासकर जब तबला वादन की बात हो।

विस्तृत व्याख्या:

  • डुकड़ा का मतलब “टुकड़ा” होता है।
  • यह शब्द तबला वादन में एक छोटी रचना को दर्शाता है, जो अक्सर एक विशिष्ट बोल या तकनीक पर केंद्रित होती है।  
  • डुकड़ा का उपयोग तबला वादक अपनी कला को निखारने और विभिन्न बोलों और तकनीकों का अभ्यास करने के लिए करते हैं।

मुक्दा

परिभाषा: यह शब्द संगीत के संदर्भ में एक रचना के अंत या समापन को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • मुक्दा का मतलब “अंत” या “समापन” होता है।
  • यह शब्द अक्सर शास्त्रीय गायन या वादन में रचना के अंतिम भाग को दर्शाने के लिए प्रयोग किया जाता है।
  • मुक्दा में अक्सर तिहाई या अन्य लयबद्ध तकनीकों का उपयोग किया जाता है ताकि रचना को एक संतोषजनक अंत दिया जा सके।

परन

परिभाषा: यह शब्द तबला वादन में एक विशिष्ट रचनात्मक रूप को दर्शाता है, जिसमें एक निश्चित बोल या वाक्यांश को बार-बार दोहराया जाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • परन का मतलब “दोहराना” या “बार-बार बजाना” होता है।
  • यह शब्द तबला वादन में एक ऐसी रचना को दर्शाता है जिसमें एक निश्चित बोल या वाक्यांश को विभिन्न लयकारी और गति के साथ बार-बार दोहराया जाता है।
  • परन का उपयोग तबला वादक अपनी कला का प्रदर्शन करने और ताल के साथ प्रयोग करने के लिए करते हैं।
  • परन में अक्सर चक्रदार तिहाई का उपयोग किया जाता है, जो एक जटिल और सुंदर लयबद्ध संरचना बनाता है।  

रेला

परिभाषा: यह शब्द तबला वादन में एक विशिष्ट रचनात्मक रूप को दर्शाता है, जिसमें विभिन्न बोलों और तकनीकों का उपयोग करके एक लयबद्ध पैटर्न बनाया जाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • रेला का मतलब “प्रवाह” या “लहर” होता है।
  • यह शब्द तबला वादन में एक ऐसी रचना को दर्शाता है जिसमें विभिन्न बोलों और तकनीकों का उपयोग करके एक लयबद्ध पैटर्न बनाया जाता है, जो संगीत को एक गतिशील और प्रवाहित गुण प्रदान करता है।
  • रेला का उपयोग तबला वादक अपनी कला का प्रदर्शन करने और ताल के साथ प्रयोग करने के लिए करते हैं।
  • रेला में अक्सर ताल के ताली-खाली पैटर्न को दर्शाया जाता है, लेकिन इसमें गति और लंबाई में बदलाव भी हो सकते हैं।  

स्वर

परिभाषा: यह शब्द संगीत में एकल ध्वनि को दर्शाता है, जिसकी एक निश्चित पिच या आवृत्ति होती है।

विस्तृत व्याख्या:

  • स्वर संगीत की मूल इकाई है।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत में सात शुद्ध स्वर होते हैं: सा, रे, ग, म, प, ध, नि।
  • इन स्वरों के अलावा, पांच विकृत स्वर भी होते हैं: रे (कोमल), ग (कोमल), म (तीव्र), ध (कोमल), नि (कोमल)।
  • स्वरों के संयोजन से राग और बंदिशें बनती हैं।

ख्षी

परिभाषा: यह शब्द संगीत के संदर्भ में एक स्वर के नीचे आने वाले सूक्ष्म स्वर को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • ख्षी का मतलब “छोटा” या “सूक्ष्म” होता है।
  • यह शब्द भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक स्वर के नीचे आने वाले सूक्ष्म स्वर को दर्शाता है, जो मुख्य स्वर को एक विशिष्ट रंग प्रदान करता है।
  • ख्षी का उपयोग रागों और बंदिशों में गायन और वादन दोनों में किया जाता है।

स्वर्त

परिभाषा: यह शब्द संगीत के संदर्भ में स्वरों के समूह या क्रम को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • स्वर्त का मतलब “स्वरों का समूह” या “स्वरों का क्रम” होता है।
  • यह शब्द भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों और बंदिशों में स्वरों के विशिष्ट संयोजन को दर्शाता है।
  • स्वर्त राग की पहचान और उसके चरित्र को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

थाट

परिभाषा: यह शब्द भारतीय शास्त्रीय संगीत में रागों के वर्गीकरण की एक प्रणाली को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • थाट का मतलब “ढांचा” या “आधार” होता है।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत में दस थाट होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में सात स्वर होते हैं।
  • प्रत्येक राग किसी न किसी थाट से संबंधित होता है।
  • थाट राग की संरचना और उसके स्वरों के संबंध को समझने में मदद करता है।

संगीत

परिभाषा: यह शब्द ध्वनि के सुव्यवस्थित और सुसंगत संयोजन को दर्शाता है, जो मन को प्रसन्न करता है और भावनाओं को व्यक्त करता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • संगीत एक सार्वभौमिक भाषा है, जो सभी संस्कृतियों में पाई जाती है।
  • संगीत मनोरंजन, भावनात्मक अभिव्यक्ति, और सांस्कृतिक पहचान का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत अपनी गहराई, जटिलता और आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता है।

ताल

परिभाषा: यह शब्द संगीत में समय के विभाजन और व्यवस्था को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • ताल संगीत का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो संगीत को एक संरचना और लय प्रदान करता है।
  • ताल में मात्राओं, विभागों, ताली-खाली, सम और आवर्तन का समावेश होता है।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत में कई प्रकार के ताल होते हैं, जैसे तीनताल, झपताल, रूपक ताल, एकताल आदि।

लय

परिभाषा: यह शब्द संगीत में गति या टेम्पो को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • लय संगीत का एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो संगीत के मूड और भावना को निर्धारित करता है।
  • लय धीमी, मध्यम या तेज हो सकती है।
  • भारतीय शास्त्रीय संगीत में लय को “लयकारी” के माध्यम से विभिन्न तरीकों से विभाजित और व्यवस्थित किया जाता है।

ठेका

परिभाषा: यह शब्द तबला वादन में एक ताल के लिए एक निश्चित बोल या वाक्यांश को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • ठेका तबला वादन की मूल इकाई है।
  • प्रत्येक ताल का अपना एक विशिष्ट ठेका होता है, जो ताल की पहचान और उसके चरित्र को निर्धारित करता है।
  • ठेका में विभिन्न बोलों और तकनीकों का उपयोग किया जाता है।

मात्रा

परिभाषा: यह शब्द संगीत में समय की एक इकाई को दर्शाता है, जो ताल का आधार बनती है।

विस्तृत व्याख्या:

  • मात्रा संगीत की सबसे छोटी इकाई है।
  • ताल में मात्राओं को विभागों में बांटा जाता है।
  • मात्राओं की संख्या और उनके विभाजन से ताल का प्रकार निर्धारित होता है।

सम्

परिभाषा: यह शब्द ताल के पहले मात्रा या बीट को दर्शाता है।

विस्तृत व्याख्या:

  • सम ताल का सबसे महत्वपूर्ण बिंदु होता है।
  • अधिकांश रचनाएँ सम पर समाप्त होती हैं।
  • सम ताल को एक संरचना और संतुलन प्रदान करता है।

यह लेख भारतीय शास्त्रीय संगीत के कुछ महत्वपूर्ण पारिभाषिक शब्दों की व्याख्या करता है। इन शब्दों को समझना संगीत की गहराई को समझने और संगीत का आनंद लेने के लिए आवश्यक है। भारतीय शास्त्रीय संगीत एक समृद्ध परंपरा है, और इन पारिभाषिक शब्दों का ज्ञान इस परंपरा की सराहना करने और उसमें भाग लेने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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